कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में 21 दिनों का लॉकडाउन है। हॉटस्पॉट पूरी तरह सील किए जा रहे हैं। कई राज्यों ने तो लॉकडाउन को 30 अप्रैल तक बढ़ा दिया है। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को लॉकडाउन में ढिलाई को लेकर फटकार लगाई है तो केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने फूल मंडी, पान और मिठाई पर भीड़ को लेकर राज्य सरकार को घेरा है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी का आरोप है कि दीदी तबलीगी जमात से जुड़े लोगों की जांच नहीं करा रही हैं। आखिर पश्चिम बंगाल में चल क्या रहा है? और क्यों केंद्र सरकार को सख्ती दिखानी पड़ी? आइए जानते हैं...
बताया जा रहा है कि राज्य में लॉकडाउन के नियमों का जमकर उल्लंघन हो रहा है। कहीं मछली बाजार सजा है तो कहीं मिठाई दुकानों पर सोशल डिस्टेंशिंग को रसगुल्ले संग गटक रहे हैं लोग। जिस पुलिस पर नियमों को सख्ती से लागू कराने की जिम्मेदारी उसी पर धार्मिक आयोजनों के लिए छूट देने का आरोप है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक बंगाल में शनिवार तक कोरोना वायरस के 116 केस सामने आए हैं। लेकिन पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स एसोसिएशन और बीजेपी इन आंकड़ों पर भी सवाल उठाए हैं। कहा जा रहा है कि आंकड़े छिपाए जा रहे हैं और दीदी तबलीगी जमात के लोगों की सख्ती से जांच नहीं करा रही हैं।
मछली बाजारों में सोशल डिस्टेंशिंग नहीं
पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को भेजे पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि सब्जी, मछली और मांस बाजारों में कोई रोक-टोक नहीं है। सुरक्षा एजेंसियों को मिली रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम बंगाल में लॉकडाउन में क्रमिक छूट दी जा रही है। राज्य में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को अधिक छूट दी जा रही है। गैर-जरूरी चीजों की दुकानें खुलने दी जा रही हैं।
कई कोरोना मरीज मिले, फिर भी इन इलाकों में ढिलाई
केंद्र सरकार ने कहा है कि कोलकाता में राजबाजार, नारकेल डांगा, टोपसिया, मेतियाबुर्ज, गार्डेनरीच, इकबालपुर और मुनिकटला जैसे स्थानों पर सब्जी, मछली और मांस बाजारों में कोई नियंत्रण नहीं है और वहां लोग आपस में दूरी बना कर रखने के नियमों को धत्ता बताते हुए बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं, जबकि नारकेल डांगा जैसे स्थानों पर कोरोना के कई मरीज मिले हैं।
पुलिस पर आरोप
देशभर में सभी तरह के धार्मिक, सामाजिक और राजनैतिक समारोह पर रोक है। लेकिन पश्चिम बंगाल में कई जगह धार्मिक आयोजन हो रहे हैं। केंद्र सरकार ने इसका भी संज्ञान लिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है, ''यह भी सामने आया है कि पुलिस धार्मिक कार्यक्रमों की इजाजत देती रही है। मुफ्त राशन संस्थागत आपूर्ति प्रणाली के माध्यम से नहीं बांटे जा रहे, बल्कि नेताओं द्वारा बांटे जा रहे। हो सकता है कि इसकी वजह से कोविड-19 संक्रमण बढ़ा हो।'
कड़ी कार्रवाई के बाद रिपोर्ट सौंपने को कहा
मंत्रालय ने कहा कि ऐसी गतिविधियां केंद्र सरकार की ओर से आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत समय-समय पर जारी किए गए आदेशों के खिलाफ हैं और ये इस कानून के तहत कार्रवाई किए जाने लायक हैं। पत्र में कहा गया है, 'ऐसे में यह अनुरोध किया जाता है कि इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जाए और मंत्रालय को इस बारे में शीघ्र ही रिपोर्ट दी जाए। यह अनुरोध भी किया जाता है कि भविष्य में ऐसे उल्लंघनों की पुनरावृति रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं।'
तबलीगी जमात के लोगों की जांच नहीं: भाजपा
भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात की और कोरोना पीड़ित लोगों की सही तस्वीर जनता के सामने लाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने का अनुरोध किया। राज्यपाल से मुलाकात के बाद पश्चिम बंगाल भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने आरोप लगाया कि बड़ी संख्या में तबलीगी जमात के लोग भागकर पश्चिम बंगाल आए हैं। ममता सरकार को डर लगता है कि अगर उन्होंने टेस्ट कराया तो उनका वोट बैंक नाराज हो जाएगा। सिन्हा ने पश्चिम बंगाल की पुलिस पर भी आरोप लगाया कि उनके पास पूरी सूचना है। लोगों की लिस्ट है कि कौन-कौन दिल्ली के मरकज में शामिल हुए थे। बावजूद इसके राजनीतिक डर से पुलिस उन लोगों के खिलाफ करवाई नहीं कर पा रही है। सिन्हा ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य में अल्पसंख्यक बहुल कई इलाकों में लॉकडाउन है ही नहीं। इससे बड़ी संख्या में कोरोना वायरस को आमंत्रित किया जा रहा है।
फूल मंडी को लेकर बरसे बाबुल
केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के बीच एक बड़ा फूल बाजार को खोलने की अनुमति देने के लिए शनिवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना की और दावा किया कि इससे लोगों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। सुप्रियो ने शनिवार को ट्वीट किया कि हावड़ा फूल बाजार को खोलकर 'मुख्यमंत्री जन सुरक्षा को खतरे में डाल रही हैं और यह दर्शाता है कि राज्य में स्थिति खतरनाक है।
केंद्रीय वन और पर्यावरण राज्यमंत्री ने ट्वीट किया, 'हम बोलेगा तो बोलोगे कि राजनीति करता है पर आपलोग बताइए कि ऐसा होना चाहिए था क्या? यह इसलिए हो रहा है क्योंकि फूल, मिठाई, पान की दुकानों यानी सभी चीजों को (खुले रहने की) अनुमति देकर ममता जी ने यह गलत संकेत दे दी कि कोरोना को अब पश्चिम बंगाल हरा चुकी है। कोविड-19 अब अतीत है।
ममता ने रखी थी सोशल डिस्टेंशिंग की शर्त
पश्चिम बंगाल के लोगों के मिठाई प्रेम को दुनिया जानती है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से इन्हें भी बंद कर दिया गया था। इस बीज दुग्ध उत्पादक किसानों की दूध बर्बाद होने की शिकायत और मिठाई दुकानदारों की मांग के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कुछ शर्तों के साथ चार घंटे मिठाई की दुकानें खोलने की छूट दी थी। ममता सरकार ने गाइडलाइन में कहा था कि दुकान में 2 से ज्यादा कर्मचारी नहीं होंगे और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन करना होगा।